HSSC की तैयारी तरीके से - सांस्कृतिक विकास
इस सीरीज में हम NCERT के पाठ्यक्र्म पर आधरित TOPICWISE सवाल - जवाबों का अध्ययन करेंगे।
वर्तमान सीरीज HSSC के नए ट्रेंड के अनुसार DESIGN की जाएगी। इस सीरीज में NCERT के SYLLABUS में से व HSSC सवाल पूछने के बदले हुए TREND के अनुसार सामग्री उपलब्ध करवाई जाएगी।
टॉपिक 2 - सांस्कृतिक विकास (600 ई.पू. से 600ई.)
कुछ महत्वपुर्ण बिंदु:-
1. महान दार्शनिको के विचार भौतिक और लिखित परम्पराओ में संग्रहित हुए तथा स्थाप्तय और मूर्तिकला के माध्यम से अभिव्यक्त हुए।
2. बौद्ध धर्म के विश्वासों और विचारो को जानने का प्रमुख स्रोत साँची का स्तूप है।
3. आरम्भ में स्तूप वस्तुत: टीले होते थे। यह पवित्र बौद्ध स्थल है, जहाँ आँगन के बीच बुद्ध से जुड़े अवशेषों को गाड़ा जाता है।
4. साँची के स्तूप के संरक्षण में भोपाल की शासक शाहजहां बेगम और सुल्तान जहाँ बेगम का बहुत योगदान था।
5. 19 वीं शताब्दी में अँगरेज़ों व फ़्रांसिसीयों ने साँची के स्तूप में विशेष दिलचस्पी दिखाई। शाहजहां बेगम ने यूरोपियानों को केवल स्तूप के तोरण द्वार की प्लास्टर प्रतिकृति ही ले जाने दी, सुल्तानजहां ने रख-रखाव के लिए धन दिया, संघ्रालय व अतिथिशाला बनवाई।
6. बुद्ध के शिष्यों के दल ने संघ की स्थापना की। बुद्ध के अनुयायी कई सामाजिक वर्गों से थे परन्तु संघ में आने पर सब बराबर माने जाते थे।
7. बुद्ध की उपमाता महाप्रजापति गौतमी संघ में आने वाली प्रथम भिक्खुनी बनी। ऐसी स्त्रियाँ जो संघ में वे धम्म की उपदेसिकाएँ बनी। भविष्य में वे थेरी बनी, जिसका अर्थ है ऐसी महिलाएँ जिन्होंने निर्वाण प्राप्त कर लिया हो।
8. बौद्ध संघ में समाहित होने पर सभी लो बराबर माना जाता था क्योंकि भिक्खु और भिक्खुनी बनने पर उन्हें अपने पुरानी पहचान को त्याग देना पड़ता था।
9. बौद्ध धर्म में "निर्वाण" का अर्थ है, अहं और इच्छा का समाप्त होना।
10. साँची के स्तूप में शालभंजिका की मूर्ति इस बात को इंगित करती है की जो लोग बौद्ध धर्म में आये उन्होंने बुद्ध - पूर्व और बौद्ध धर्म से इत्तर दूसरे विश्वाशों, प्रथाओं और धरणाओं से बौद्ध धर्म को समृध किया।
11. समकालीन बौद्ध ग्रंथों में हमें 64 सम्प्रदायों या चिंतन परपम्परों का उल्लेख मिलता है इससे हमें जीवंत चर्चाओं और विवादों की एक झाँकी मिलती है।
12. सुत पिटक महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं का संग्रह है।
13. अभिधम्म पिटक दर्शन शास्त्र से जुड़े विषयों का संग्रह है।
14. बौद्ध धर्म में चिंतन की नई परंपरा को महायान की संज्ञा दी गई ये लोग दूसरे बौद्ध परंपराओं के समर्थकों को हीनयान कहते थे। लेकिन पुरातन परम्परा के अनुयायी खुद को थेरवादी कहते थे।
15. जैन धर्म के परवर्तक महावीर ने अवधरणा प्रस्तुत की कि सम्पूर्ण विश्व प्राणवान है।
16. जैन विद्वानों ने प्राकृत, संस्कृत, तमिल भाषाओं में साहित्य का सर्जन किया।
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